मेरे पड़ोसी देवर भाभी की रतिक्रीड़ा मैंने छोटी खिड़की से चुपके से फिल्माई

1919

रात का समय था. मैं गहरी नींद सो रहा था. इतने में हमारे बाजू वाले घर से ही तेज आवाज में बज रहे हिंदी गानों की वजह से मेरी नींद खुल गई. मैंने सीढ़ी लगाकर दीवार के ऊपरी छोटी खिड़की में से झांककर देखा तो मुझे यह नजारा देखने को मिला! मेरे पड़ोसी देवर भाभी रतिक्रीड़ा कर रहे थे. देवर नंगा लेटा हुआ था और भाभी अपनी साड़ी ऊपर उठाकर उसके लोड़े पर बैठी हुई थी. देवरजी को गले लगाकर वह उसके होंठ चूमने लगी. भाभी बड़ी खुश नजर आ रही थी. शायद काफी दिनों के बाद उसे कामसुख का आनंद मिल रहा था.

थोड़ी देर बाद देवर ने भाभीजी को ऊपर उठाया और खड़े-खड़े ही चुदाई के कुछ धक्के लगाएं. फिर उसने उसे बिस्तर पर लिटाया. सारा वक़्त भाभीजी के हाथ के कंगन और पायल ‘छम छम’ बज रहे थे. भाभी को इस अवस्था में देख मेरा तो लंड खड़ा हो गया.